कुसमुंडा में टल गया प्रवेश,भाजपाईयों ने ली राहत की सांस

0 स्थानीय नेताओं के अस्तित्व पर मंडराने लगा था खतरा

कोरबा। ऐन चुनाव के वक्त किसी न किसी कारण से अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में जाने और निष्ठा जताने का क्रम जारी है। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी आगे चल रही है और कई लोग उसका दामन थाम रहे हैं जिसके लिए कई तरह के राजनीतिक/व्यक्तिगत हालात और कारण जिम्मेदार बताए जा रहे हैं। प्रवेश के मामले में सर्वाधिक चर्चा का विषय पाली बना रहा और इसके बाद दूसरे नंबर पर कुसमुंडा क्षेत्र चर्चा में आने वाला था कि इससे पहले ही यहां ताने जा रहे हैं टेंट उखाड़ दिए गए।
स्थानीय पार्टी सूत्र ने बताया कि कुसमुंडा क्षेत्र के लगभग 1500 लोग जिसमें कुछ कांग्रेसी, कद्दावर कांग्रेसी तो कुछ अन्य दलों से वास्ता रखने वाले तो कुछ बिल्कुल फ्रेश लोग भाजपा में प्रवेश करने के लिए कार्यक्रम की तैयारी में लगे थे। प्रवेश कराने वाले सीधे तौर पर भाजपा प्रत्याशी की टीम के संपर्क में थे। आज दोपहर के वक्त कबीर चौक कुसमुंडा में यह प्रवेश कार्यक्रम निश्चित हुआ था। कांग्रेसियों सहित अन्य लोगों के भाजपा में शामिल होने की जानकारी जैसे ही यहां के भाजपा समर्थित पार्षदों,पूर्व पार्षदों, विधायक प्रतिनिधि, मंडल के पदाधिकारी आदि को हुई तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई कि आखिर ऐसा कैसे हो रहा है और हमारी जानकारी में नहीं है।यह बात जाहिर है कि इन चुनाव के वक्त जो भी पार्टी का दामन थामता है, उसकी पूछ परख बढ़ जाती है और पुराने कार्यकर्ता चाहे वह कर्मठ हो, निष्ठावान हो वह हाशिए पर चले जाते हैं। कुछ इसी तरह का भय मन में लिए मंडल के पदाधिकारी एवं वरिष्ठ लोगों ने यह बात संगठन तक पहुंचाने का काम किया। दूसरी तरफ मंगलवार को कबीर चौक में टेंट लगाने का भी काम चलता रहा। आखिरकार शाम होते-होते निर्देश मिला कि कांग्रेस से भाजपा में प्रवेश करने का यह कार्यक्रम फिलहाल टाल दिया जाए।देखते ही देखते गाड़े जा रहे हैं टेंट उखड़वा दिए गए और कार्यक्रम स्थगित हो गया, तब जाकर भाजपाईयों ने राहत महसूस की।
वैसे अभी यह प्रवेश कार्यक्रम सिर्फ टाला गया है, हो सकता है कि आगामी दिनों में इसे अमलीजामा पहनाया जाए। वैसे पाली तानाखार विधानसभा के पाली मंडल में आयोजित कार्यक्रम में भाजपा प्रवेश को लेकर काफी कुछ हलचल मची है। दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है इसलिए कुसमुण्डा में प्रवेश कार्यक्रम फिलहाल स्थगित करने में ही भलाई समझी गई ताकि किसी तरह के विवादों और प्रश्नों में ना आ सकें।