कोरबा। लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद कोरबा लोकसभा क्षेत्र के खास लोगों की बेचैनी बढ़ गई है। बाजार में चर्चा काफी गर्म है कि उनके साथ माया मिली ना राम वाली कहावत चरितार्थ हो गई। सपोर्ट में लाखों खर्चने व काम के एवज में एडवांस देकर पैसा फंसाने वाले दुविधा में फंसकर हलाकान हो रहे हैं।
खनिज संपदा से भरपूर कोरबा जिले व लोकसभा क्षेत्र में कई तरह के काम धंधा की कोई कमी नहीं है। इनमें से कुछ ऐसे भी धंधे संचालित होते रहे जिन पर समय-समय पर लगाम भी लगाई जाती रही। इस तरह के काम सिर्फ और सिर्फ एप्रोच से मिलते रहे हैं। लोकसभा चुनाव और इससे पहले विधानसभा चुनाव के दौरान इस तरह के कार्यों पर पूरी पाबंदी लगा दी गई। नई सरकार में नए सेटअप के साथ नए लोगों को काम मिलने का अनुमान संबंधित लोगों के द्वारा लगाया जाता रहा। विधानसभा चुनाव के ठीक बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटना पड़ा। प्रत्याशी चयन के बाद कद्दावर नेत्री की जीत के प्रति बहुत ज्यादा आशान्वित लोगों ने उनके साथ और उन्होंने ऐसी अपेक्षा रखने वाले लोगों के साथ तालमेल बिठाया।
इन्हें पूरा भरोसा था कि हर हाल में चुनकर आ ही रहे हैं और अपनी ताकत का आभास भी सामने वालों को कराया कि काम तो हमारे हिसाब से ही मिलेगा। इस पूरे मामले में घर के भेदियों ने भी साथ दिया। जीत के बाद लाभ की उम्मीद में लाखों का चुनावी चन्दा भेंटकर दांव लगाए चन्द लोग शुरू से अपने ईष्ट को मनाते रहे कि सब ठीक हो। बस, पैसा फेंको और तमाशा देखो का खेल शुरू हुआ लेकिन अंत में खेल बिगड़ गया, बाजी पलट गई। अब दांव लगाने वाले तो चारों खाने चित्त हैं ही, पर वे ज्यादा परेशान हैं जो बड़े काम की चाह में बड़ा पैसा एडवांस में फंसा बैठे हैं। अब इनके लिए ये सब गले में फंसी हड्डी के समान हो गया है, न निगल पा रहे हैं न उगल पा रहे हैं, न मांग पा रहे हैं। अब वे यही मनाते फिर रहे हैं कि जो हुआ सो हुआ, बस अब हमको काम मिल जाए तो नुकसान की कुछ भरपाई हो जाए।
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