सुप्रीम कोर्ट का फैसला प्रेस की आजादी में मील का पत्थर : वर्मा

कोरबा। भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एडिटर इन चीफ प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी को बुनियादी अधिकारों के खिलाफ और गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है। इसके बाद प्रबीर पुरकायस्थ जेल से बाहर आ गए हैं। यह भारत के स्वतंत्र, जनसमर्थक, सामाजिक न्याय और जनवादी लेखकों, पत्रकारिता और आजाद मीडिया के लिए स्वर्णिम दिन है।भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कोरबा जिला सचिव पवन कुमार वर्मा ने जारी बयान में कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के पिछले कई फैसलों ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और कानून के शासन में जान डाल दी है। इससे पहले भी भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बिलकिस बानो के कानूनी हकों की रक्षा की थी और बिलकिस बानो केस के अपराधियों को जेल की सींखचों के पीछे भेजा था। चंडीगढ़ के मेयर चुनावों में साजिशकर्ता चुनाव अधिकारी के जनतंत्र विरोधी कदमों पर रोक लगाकर, चुनावी प्रक्रिया की ईमानदारी, निष्पक्षता और जनतंत्र की रक्षा की थी।
इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय में अपने बहुत ही महत्वपूर्ण फैसले में संविधान के धर्मनिरपेक्षता के बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा की थी और स्पष्ट तौर से स्थापित किया था कि धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत भारतीय संविधान का बुनियादी सिद्धांत है और भारतीय राष्ट्र-राज्य का कोई धर्म नहीं है, वह पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष है। सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले कई साल से जेल में निरूद्ध गौतम नवलखा को जमानत दी और उन्हें जेल से बाहर निकलने में मदद की। इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देकर जेल से बाहर निकाल कर जनतंत्र की हिफाजत की है। इन सब मामलों में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और दूसरी केंद्रीय एजेंसी की दलीलों को सिरे से ही नकार दिया और उनकी तमाम दलीलों को आजादी के बुनियादी सिद्धांतों के विपरीत और गैरकानूनी बताया और केंद्र सरकार द्वारा अपने विरोधियों को जेल में डालने की मुहिम पर फिलहाल तो रोक लगाकर कानून के शासन को सर्वोच्चता प्रदान की है।


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *